शनिवार, 28 दिसंबर 2013

आई रे आई रे ख़ुशी.....

आज मैंने एक ऐसा विषय लिखने के लिए चुन लिया है, जिसके लिए मैं नहीं जानता कि में उपयुक्त हूँ कि नहीं परन्तु अपने दैनिक अनुभवों के माध्यम से अपने विचार अवश्य साझा कर सकता हूँ जो कि हमारी ज़िन्दगी को आसान बनाने के काम आये।  मेरे हिसाब से हम सबके के कार्यों की एक ही मंजिल है कि किस तरह इनके फलस्वरूप ख़ुशी प्राप्त की जा सके। ख़ुशी को, मनपसंद काम करके या पैसे कमाके या कुछ खाके, सोके, कुछ भी जो हमारे मन का हो, करके प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है।  कुछ इसे गाड़ी, बंगला और शानौशौकत में ढूंढते हैं, तो कुछ वैराग्य में।
लक्ष्य छोटे या बड़े हो सकते है, परन्तु उन्हें प्राप्त करने पर होने वाली ख़ुशी छोटी या बड़ी नहीं होती, वो तो सिर्फ ख़ुशी होती है, सही बात तो ये है कि ख़ुशी एक ऐसा अहसास है जिसे बढ़ाया या घटाया नहीं जा सकता बल्कि बांटने पर कई गुना किया जा सकता है। सही मायने में इतने युगों के बाद भी हम इसे प्राप्त करने का सही तरीका नहीं ढूंढ पाये है।  पैसा कमाके, शादी करके, बड़े लक्ष्य हासिल करके भी, खानाबदोश होके भी, बल्कि भजन करके भी सच्ची ख़ुशी हमारे लिए दूर की कौड़ी ही है, क्योंकि हम एक मर्म की बात समझ ही नहीं सके कि ये तो भीतरी अहसास है जो कि भीतर से ही निकलेगा। फिर भी कुछ बिंदु है जिन पर गौर करके हम इसका स्तर बढ़ा सकते है :

धन्यवाद - तमाम विडम्बनाओं के बाद भी हम सब के रहने के लिए ये सारी दुनिया एक सुन्दर जगह है।  हमें जीवन जीने के लिए जो साधन जरूरी है, मुहैया है।  हम अगर उपलब्ध साधनों के लिए धन्यवाद करें, किसी के प्रति कृतघ्य होकर धन्यवाद करें तो हमारा ख़ुशी का स्तर बढ़ सकता है।  फर्ज करें कि हमारे पास खाने के लिए अच्छा खाना है, जो कि बहुतों के पास नहीं है।  पीने के लिए साफ़ पानी, रहने के लिए घर, सोने के लिए बिस्तर, चलने के लिए वाहन, वातानुकूलन के साधन, मनोरंजन के साधन और सैकड़ों रोजमर्रा की ज़िन्दगी में काम आने वाले साधन है जिनसे दुनिया का बहुत बड़ा हिस्सा वंचित है।  अगर हम इन उपलब्ध साधनों के लिए ऊपर वाले का शुक्रिया करें तो हमारा ख़ुशी का स्तर निश्चित बढ़ेगा।

सकारात्मकता : दुनिया में सिर्फ दो मनोभावों का अस्तित्व है सकारात्मक या फिर नकारात्मक।  जहाँ सकारात्मकता हमारी ऊर्जा को बढाती है वही नकारात्मकता इसे घटाने का कार्य करती है।  ज़िन्दगी में संघर्ष, दुःख, मुसीबतें, बीमारी इत्यादि समस्याएं आनी ही है, परन्तु इन सबके पार पाकर ज्यादा ख़ुशी वो ही हासिल कर पाते है जो अपना नजरिया सकारात्मक रखे।  कई शोध बताते है कि सकारात्मक लोग कम बीमार होते हैं, ज्यादा जीते हैं, उनके मित्र ज्यादा होते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी होते हैं। ऐसे लोगों के लिए सारी दुनिया एक आशियाना है जहाँ हर कदम पर मित्र, सहयोगी मिल ही जाते हैं।  वो पुराने छूटे हुए रिश्तों, मित्रों और पुराने दिनों के लिए दुखी नहीं होते, बल्कि नए रिश्ते गढ़ते हैं, नए मित्र बनाते हैं और अपना आज अपने बीते कल से भी बेहतर बनाते हैं। सकारात्मकता के घोड़े पर सवार वो मैदान मार ही लेते हैं और दूसरों की सफलता का भी जश्न मनाते हैं। ऐसे लोग सबसे प्रेम करते हैं, और प्रेम बांटते भी हैं।  ये लोग जानते हैं कि कोई भी हमें अपनी गाड़ी, कपड़े, घर के लिए याद नहीं करेगा बल्कि हमें हमारे व्यवहार के लिए याद किया जायेगा।

व्यवहारिक दृष्टिकोण : मेरे एक मित्र ने कहा कि ज़िन्दगी का मतलब झेलना और बर्दाश्त करना ही है।  हमारा परिस्थितियों पर, अपने बॉस पर, सरकार पर, महंगाई पर बल्कि अपने परिवार पर किसी पर जोर नहीं चलता और हम कुछ भी बदल नहीं सकते, ये हमें सहन करना होगा।  आम दृष्टिकोण के तहत ये बात सत्य भी है।  लेकिन ज़िन्दगी यही सब तो नहीं है, हम परिपक्व और व्यवहारिक होंगे तो कुछ तब्दीलियां तो करेंगे ही। मसलन किसी के सामने बदबूदार खाना रखें फिर भी वो खा तो नहीं लेगा चाहे कितना ही भूखा क्यूँ न हो ?कपड़े गंदे होने पर भी कोई सामान्य व्यक्ति पहन तो नहीं लेगा ? अतः जो लोग हमारे लिए नकारात्मक सिद्ध हो रहे हैं, या जिनके रहने से हमारी ज़िन्दगी आसान न रहे तो उनसे दूरी बनाना ही बेहतर है, क्यूंकि हमें उन लोगों में ज्यादा निवेश करना है जो हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है।  अपनी ऊर्जा, अपना समय, अपना प्यार लुटाने के लिए ये दुनिया छोटी कतई नहीं है।  हम खुश तभी रह पाएंगे जब हम जैसे और हमारे जैसी आदत वाले लोग हमारे आस पास रहे।  हम सबको खुश रख नहीं सकते परन्तु जिन्हे हम खुश रखना चाहते है उसमें कोई कमी भी नहीं रहनी चाहिए, आख़िरकार हम भी तभी खुश रह पाएंगे ।

उपरोक्त बातें मेरा दृष्टिकोण ही है, ये कोई स्थापित सत्य नहीं है परन्तु मैंने जिन चीजों की कमी समाज में महसूस की, वो ही यहाँ लिखी है।  वैसे खुश रहने का कोई फार्मूला तो हो ही नहीं सकता।  युग बदले, समय बदला परन्तु इंसान की बुनियादी आवश्यकताएं प्यार और ख़ुशी ही है, उन्हें वो ढूँढता रहेगा अपने अपने समय और कालखंड के बदले तरीकों से।

                                                                                            " श्री लाल राठी "

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें