कला या कलाकार के लिए कोई सीमा या बॉर्डर नहीं होती। वो तो सार्वभौमिक होते हैं। कोई भी देश हो, संस्कृति हो, खान पान हो, काले या गोरे हो, कला सबके लिए भगवान के प्रसाद की तरह होती है। एक जुमला है कि ईश्वर खुद सब जगह हो नहीं सकता अतः उसने माँ को बनाया। ये शब्द माँ के सम्मान में हैं। लेकिन ईश्वर का रूप यहीं समाप्त नही होता बल्कि प्रकृति जिसमें पेड़ पौधे, रंग बिरंगे फूल व् पशु पक्षी, नदी तालाब, ऋतुएँ, सतरंगी इन्द्रधनुष और इन सबसे ऊपर कला, इन सबमे भगवान की झलक देखने को मिलती है अगर आपके पास वो दृष्टि है तो । कला से अर्थ मेरा उस नैसर्गिक गुण से है जो सामान्यजन में देखने को नहीं मिलता। मुझे किसी बुजुर्ग ने बताया था कि जिन लोगों में नैसर्गिक कला अर्थात गायन, नृत्य, वादन, चित्रकारी, अभिनय, कविता लेखन इत्यादि के गुण होते हैं उन्हें स्वयं ईश्वर अपने हाथों से बना के भेजता है और उन्हें ही हम कलाकार कहते हैं। ये गुण वो होते हैं जिन्हे चमकाया जा सकता है परन्तु किसी इंसान में भरा नहीं जा सकता।
कलाकार घटनाओं और स्थितियों को जिस दृष्टिकोण से देखता है वो दूसरों से अलग होता है। वो उसमे छुपे निहितार्थ को देखता है। छोटी से छोटी सकारात्मकता उन्हें नज़र आ जाती है और नकारात्मकता से वो प्राकृतिक रूप से ही दूर रहते हैं। संवेदना का स्तर भी उनमे सामान्यजन से ज्यादा होता है।
अब मुद्दे पर आता हूँ। जगजीत सिंह जी के बारे में मैं दुसरे ब्लॉग में लिख चुका हूँ। उनके बारे में शरीर के एक रोम जितना भी नहीं जानता परन्तु जो महसूस किया वो लिखा है www.jagjitandgulzar.blogspot.com के शुरुआती अध्यायों में। गुलज़ार साब के प्रति मेरा आकर्षण बाद में हुआ उनकी आज़ाद और आसान शैली की वजह से। सो बचपन से ही जगजीत सिंह के ग़ज़ल गायन और बड़े बड़े फ़नकार शायरों को सुनने की वजह से दृष्टिकोण तो मेरा कुछ व्यापक हो ही गया। उनकी ग़ज़लें रूह को छूती हैं और उसमे से सारा मैल निकाल लती हैं जाहिर है कि उन्होंने मेरी रूह को भी धीरे धीरे पॉलिश कर दिया। दुनिया को देखने का मेरा तरीका बदल गया और जो भी परिवर्तन हुआ सकारात्मक हुआ। टेक्नोलॉजी के विस्तार ने फिर इंटरनेट का विकास किया। लोगों को जरिया मिला कलाकारों के बारे में जानने का और उन्हें सुनने व् देखने का। गूगल का धन्यवाद कि उसने ब्लॉग के जरिये सब को लिखने का मौका दिया और पूरी दुनिया तक अपनी आवाज़ पहुचाने का प्लेटफार्म भी।
अतः मैंने भी निश्चय किया कि जिस फ़नकार को बचपन से सुनता आ रहा हूँ जो मेरी ज़िन्दगी में अदृश्य रूप में हमेशा मेरे साथ है उनकी ग़ज़लों को मैं हिंदी में पूरे भारत और पूरी दुनिया में बसे भारतीयों तक पहुंचाउंगा। साथ ही साथ मेरे ब्लॉग में ग़ज़ल के नीचे उसे लिखने वाले शायर का भी नाम होता है जिससे दुनिया को पता चले कि किसने ये ग़ज़ल लिखी। गुलज़ार साब की कवितायेँ जो लोग पढ़ नहीं पाते क्यूंकि किताबें महँगी है उनके लिए गुलज़ार साब के गाने, शायरी, ग़ज़ल, नज़्म, कवितायेँ भी रखता हूँ। बहुत मेहनत करनी पड़ती है। आँखों पर जोर पड़ता है। सर दुखता है। काम से समय निकालना पड़ता है। लेकिन जब आज मेरा ब्लॉग जब 5 साल से ज्यादा का हो गया है। 215000 page view मिल चुके हैं। अब तो रोज 150 विजिट्स हो रही हैं। मेरे facebook page ( jagjit & gulzar ) जो कि इसी ब्लॉग से जुड़ा है को 12200 followers का कारवां भी मिल चुका है। मेरे ब्लॉग को भारत, पाक, रशिया, लंदन, यूक्रैन, अमेरिका, जर्मनी, uae इत्यादि ( लगभग हर देश ) में लोग देखते हैं तो लगता है कि मैं भी कला और कलाकारों के लिए कुछ कर पा रहा हूँ। एक संतुष्टि मिलती है। पूरी दुनिया में किसी को जगजीत जी या गुलज़ार की कोई हिट ग़ज़ल हिंदी में चाहिए तो मेरा ब्लॉग हाजिर हो जाता है। उस पर गूगल ने विज्ञापन भी दिखाने शुरू किये इस ब्लॉग पर, तो गूगल का भी आभार। मेरी मेहनत भविष्य में रंग लाएगी और लोगों को ग़ज़ल और साहित्य से जोड़ेगी यही सोचकर में पोस्ट डालता जाता हूँ अपने कलाकार होने का फ़र्ज़ अदा किये जाता हूँ।